Saturday, 15 August 2020

स्वतंत्रता दिवस

 स्वतंत्रता दिवस 

   हृदय गदगद हो जाता यह विचार करके भी की हम भारत वासी है 

इस देश की संस्कृति इस देश की सभ्यता यहां की भाषा यहां का परिवेश सबकुछ आत्मिकता से भरा हुआ है परंतु इस सुखी संपन्न देश में जहाँ के कण कण से प्रेम प्रमुदिता के भाव मिलते है उसी देश मे आजादी के 74 साल बाद भी क्या हम आजाद है 


करें स्वागत किस तरह हम तेरा ये जश्ने आजादी 

खड़े है सामने कितने दहकते प्रश्न बुनियादी 

उगी आंखों में बेचैनी अधर पर मौन ठहरा है 

यहाँ कुछ बंधुओ में मजअबी उन्माद गहरा है

हवा में कपकपी इंसान खून में सन रहें होंगे 

अभी बारूद के बादल कही पर बन रहें होंगे 

कहीं षड्यंत्र की मल्लिका मल्हारे गा रही होगी 

कोई टोली किसी का कत्ल करने जा रही होगी 

कही है ग्रास हंसो का कौवे छीन ले जाएं 

कोई मजबूर कचरे से दाने बीन कर खाएं 




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